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रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने रामलला का स्थान बदलने के लिए दी हरी झंड़ी

रामजन्मभूमि में विराजमान रामलला के स्थान परिवर्तन की प्राथमिक तैयारी शुरू हो गई है। रामजन्मभूमि परिसर में रामलला के लिए नियत स्थान को लेकर शासन व परिसर के सुरक्षा अधिकारियों की संतुष्टि के बाद रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव व अन्य न्यासियों ने भी हरी झंडी दे दी है। ट्रस्ट की सहमति के बाद प्रस्तावित स्थल की साफ-सफाई का काम भी शुरू कर दिया गया है।

इसकी पुष्टि करते हुए विराजमान रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येन्द्र दास ने बताया कि परिसर में रामलला का नया स्थान गैंग-वे के निकट डी थ्री बैरियर के पूरब में निर्धारित कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि पूर्व में तीन स्थानों को चिह्नित किया गया था। ट्रस्ट के न्यासियों से विचार-विमर्श के बाद प्रस्तावित स्थल पर अंतिम रूप से सहमति बन गई है। उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन के निर्देश पर वहां झाड़ियों की सफाई शुरू की गई है। इसके अलावा सुरक्षा बलों के बैठने के स्थान को भी जल्द ही हटाकर अस्थाई मंदिर की स्थापना की जाएगी।

अस्थाई मंदिर की डिजाइन तय, विशेष एजेंसी कर रही निर्माण  
विराजमान रामलला के लिए अस्थाई मंदिर की डिजाइन को अंतिम रूप दिया जा चुका है। इसके निर्माण की जिम्मेदारी भी विशेष एजेन्सी को सौंपी गई है। रुड़की इंजीनियरिंग संस्थान के विशेषज्ञों की देखरेख में तैयार हो रहा यह मंदिर वाटर एवं फायर प्रूफ के साथ ही बुलेट प्रूफ भी होगा। फिलहाल इसकी पुष्टि अधिकारिक तौर से नहीं की गई है। वहीं ऐसा माना जा रहा है कि अस्थाई मंदिर नवसंवत्सर के अवसर पर स्थापित हो जाएगा। इसके साथ रामलला का स्थान परिवर्तन भी हो सकता है। विराजमान रामलला के पुजारी सत्येन्द्र दास बताते हैं कि इस सम्बन्ध में अभी कोई बातचीत नहीं हुई है।

रामजन्मभूमि के इतिहास में प्राकट्योत्सव का होगा पहली बार प्रसारण
रामनवमी के अवसर पर रामलला के प्राकट्योत्सव का सजीव प्रसारण रामजन्भूमि के इतिहास में पहली बार होगा। रामजन्मभूमि विवाद के बीच छह दिसम्बर की घटना और फिर आतंकी गतिविधियों की शुरुआत ने पूरे परिसर को सुरक्षा बंदिशों से इस कदर जकड़ा कि सभी उत्सव महज औपचारिकता तक सीमित होकर रह गए। अब जब सुप्रीम कोर्ट ने विवाद का पटाक्षेप कर दिया है और रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट अस्तित्व में आ गया है तो रामलला के जन्मोत्सव को पूरे देश में प्रसारित करने की योजना बनाई गई है। जिला प्रशासन फिलहाल दूरदर्शन व आकाशवाणी के माध्यम से ही प्रसारण की अनुमति देने पर मंथन कर रहा है।

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