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शाहीन बाग में पसरने लगा सन्नाटा

दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ शाहीन बाग में हो रहे प्रदर्शन में अब लोग कम आ रहे हैं। चुनाव के बाद शाहीनबाग प्रदर्शनस्थल पर पहले के मुकाबले भीड़ कम हुई है। मंच से बार-बार ज्यादा से ज्यादा भीड़ जुटाने के लिए अब अपील की जा रही है। गुरुवार को भी मंच से लाउडस्पीकर पर लोगों से ज्यादा से ज्यादा संख्या में यहां पहुंचने की अपील की जा रही थी। वहीं, पुलवामा हमले की पहली बरसी को देखते हुए 14 और 15 फरवरी को शाहीनबाग में कोई राजनीतिक भाषण नहीं होगा। दोनों दिन यहां देशभक्ति कार्यक्रम आयोजित होंगे। 61वें दिन गुरुवार को इस बारे में मंच से बार-बार ऐलान किया जा रहा था। इस अवसर पर पंजीकरण करवाने की अपील की गई।

प्रधानमंत्री से अपील: प्रदर्शनस्थल पर वेलेंटाइन डे की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री के नाम से गुलदस्ते बनाकर रखे गए हैं। उन पर अंग्रेजी में लिखा है कि मोदी कृपया शाहीनबाग में आइए। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि दो माह से उनका प्रदर्शन चल रहा है। प्रधानमंत्री अपने चुनावी भाषणों में कई बार प्रदर्शन का जिक्र कर चुके हैं। तीन तलाक के मुद्दे पर भी उन्होंने मुस्लिम महिलाओं के प्रति अपनी चिंता जाहिर की थी। अगर उन्हें उनकी चिंता है तो वह उनसे मिलने क्यों नहीं आते।

ट्रांसजेंडर जुटेंगे: रविवार को शाहीनबाग में बच्चों को संगीत, एक्टिंग आदि पर कक्षाएं दी जाएंगी। इस क्षेत्र से जुड़े छात्र व शिक्षक इसके बारे में बताएंगे। 14 फरवरी को सवाल-जवाब सत्र भी होगा, जिसमें अधिवक्ता सीएए, एनआरसी व एनपीआर पर लोगों के सवालों पर जवाब देंगे। इसके अलावा जल्द ही ट्रांसजेंडर वक्ता भी प्रदर्शनकारियों के समर्थन में जुटेंगे।

दबंग दादियां लोगों का हौसला बढ़ा रहीं
मंच पर मोदी प्रदर्शन के दौरान दबंग दादियों के नाम से मशहुर हुई बुजुर्ग सरबरी, बिलकिस लोगों का हौंसला भी बढ़ा रही हैं। गुरुवार सुबह जहां प्रदर्शनस्थल पर पहले के मुकाबले भीड़ कम थी, वहीं रात के समय बड़ी संख्या में लोग वहां एकत्रित हुए। इस दौरान धरनास्थल पर कार्यक्रमों का भी आयोजन हुआ।

पुलवामा की याद में मोमबत्तियां जलाईं
शाहीनबाग में प्रदर्शनस्थल पर गुरुवार को पुलवामा हमले की पूर्व संध्या पर मंच के सामने लोगों ने बड़ी संख्या में मोमबत्तियां जलाकर शहीदों को अपनी श्रद्धांजलि दी। 14 फरवरी 2019 को पुलवामा जिले के लेथपोरा में सुरक्षा कर्मियों के वाहनों के काफिले पर एक वाहन-जनित आत्मघाती हमला हुआ था। इसमें 40 जवानों और हमलावर की मौत हो गई थी। वहीं दूसरी ओर वहां मौजूद लोगों को सीएए कानून के संबंध में जागरूक किया गया। उनमें से मौजूद कुछ लोगों का कहना था कि जब तक मांग पूरी नहीं होती धरना जारी रहेगा।

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