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कल है मकर संक्रांति, बुधादित्य योग है विशेष फलदायी

माघ मास का दूसरा प्रमुख स्नान पर्व मकर संक्रांति 15 जनवरी, बुधवार को श्रद्धा, उल्लास के साथ मनाया जाएगा। इसी दिन लाखों श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के मिलन स्थल संगम में पुण्य की कामना के साथ डुबकी लगाएंगे। संगम स्नान के बाद तिल, खिचड़ी, अन्न, द्रव्य आदि दान करेंगे। दान के साथ भगवान भाष्कर का पूजन-अर्चन कर सुख-समृद्धि की कामना करेंगे। ज्योतिषीय आधार पर बुधवार को सूर्य देव धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इसी दिन उत्सवधर्मिता का प्रतीक खिचड़ी पर्व परंपरागत रूप से मनाया जाएगा। सूर्यदेव के मकर राशि में प्रवेश के साथ खरमास खत्म हो जाएगा। मकर संक्रांति पर शोभन योग का विशेष संयोग फलदायी रहेगा।

मुंडन का खास महत्व: माघ मेले में आने वाले श्रद्धालु प्रयाग में मुंडन जरूर कराते हैं। मान्यता है कि गया पिंडदान, कुरुक्षेत्र में दान, काशी में देह त्याग और प्रयाग में मुंडन (क्षौर कर्म)कराने का सनातन विधान है। शास्त्रों में कहा गया है कि यदि प्रयाग में मुंडन न कराया गया तो शेष तीनों तीर्थों पर किए गए सारे कर्मकांड व्यर्थ हो जाते हैं। मुंडन के बाद संगम में स्नान करने के समस्त फल की प्राप्ति होती है।
दान का महत्व: प्रयाग में दान की सदियों से विशिष्ट परंपरा रही है। सम्राट हर्षवर्धन ने संगम में सर्वस्व दान कर दिया था। यहां दान देने से अक्षयफल प्राप्त होता है। शास्त्रों के अनुसार यह देवताओं की संस्कार की हुई भूमि है। यहां दिया हुआ थोड़ा सा दान भी महान होता है।

स्नान, दान का शुभ मुहूर्त 
उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक पं. दिवाकर त्रिपाठी ‘पूर्वांचली’ के अनुसार 15 जनवरी, बुधवार को मकर राशि की संक्रांति सुबह 7:54 बजे से होगी। इस दिन स्नान, दान का शुभ मुहूर्त सूर्योदय से सूर्यास्त तक रहेगा। इस दिन शोभन योग, स्थिर योग के साथ गुरु और मंगल स्वराशि में रहेंगे। साथ ही बुधादित्य योग फलदायी रहेगा। ज्योतिषाचार्य अवध नारायण द्विवेदी के अनुसार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने से धन्य-धान्य में वृद्धि होगी। इस दिन गंगा स्नान से अनजाने में किए गए पापों से भी मुक्ति मिल जाती है।

खरमास का समापन
सूर्यदेव के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही 16 दिसंबर से चले आ रहे खरमास का समापन हो जाएगा। इसी दिन से शादी-विवाह समेत मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे।

तिल का प्रयोग, सूर्य का पूजन 
मकर संक्रांति के दिन सूर्य चालीसा, सूर्य सहस्त्रनाम, आदित्य हृदय स्त्रोत सूर्य मंत्रादि का पाठ करना चाहिए। इस दिन पानी में तिल डालकर नहाना, उबटन लगाना, तिल युक्त जल से पितरों को तर्पण करना, अग्नि में तिल का होम करना, तिल का दान करना और तिल का सेवन करना फलदायी माना गया है।

उत्तरायण होंगे सूर्य
ज्योतिष शास्त्र में संक्रांति का शाब्दिक अर्थ सूर्य या किसी भी ग्रह का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश या संक्रमण कहा जाता है। मकर संक्रांति भगवान सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण होने का संधि काल है। उत्तरायण में सूर्य का प्रभाव अधिक होता है और इसे देवताओं का दिन माना जाता है।

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