जो लोग कैंसर का शिकार हैं या कैंसर का इलाज करा चुके हैं, उनमें आम लोगों के मुकाबले मस्तिष्काघात से मरने की संभावना अधिक होती है। इस बात का खुलासा एक अध्ययन में हुआ है। अध्ययन में उन 70 लाख से अधिक रोगियों के डाटा का आकलन किया गया, जिनमें बीमारी के घातक रूपों की पहचान हुई थी।
कैंसर और मस्तिष्काघात में संबंध: अमेरिका की पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट् के सर्विलांस, एपिडेमिओलॉजी और एंड रिजल्ट प्रोग्राम (सीर) से डाटा एकत्रित किया। इसमें अमेरिका की लगभग 28 प्रतिशत आबादी के कैंसर के मामले, उनके जीवित बचने, उपचार, उम्र और रोग के वर्ष की जानकारी शामिल थी।
इस अध्ययन से पता चला है कि जिन लोगों को कैंसर है या कैंसर के इलाज के बाद जीवित हैं, उनमें मस्तिष्काघात से जान जाने का खतरा दो गुना से अधिक है। यह अध्ययन नेचर कम्युनिकेशंस नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं ने कहा, सीर के डाटा से 70 लाख से अधिक रोगियों की जानकारी एकत्रित की गई। इसमें घातक कैंसर से जूझ रहे रोगियों का पता चला था।
यह कैंसर ऊतक से बाहर फैल गया था। उन्होंने कहा कि स्तन कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और बड़ी आंत के कुछ हिस्सों का कैंसर गंभीर मस्तिष्काघात से संबंधित है।
कम उम्र के कैंसर रोगियों को अधिक खतरा : पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी में रेडिएशन ऑन्कोलॉजी की असिस्टेंट प्रोफेसर निकोलस जॉस्र्की ने कहा, पिछले शोधों से पता चला है कि अधिकतर कैंसर रोगी अपने कैंसर से नहीं मर रहे, बल्कि मौत का कारण कुछ और है।
जॉस्र्की ने आगे कहा कि हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि मस्तिष्काघात से होने वाली इन मौतों को रोकने के लिए रोगियों को एक स्क्रीनिंग प्रोग्राम से फायदा हो सकता है। साथ ही यह पहचानने में मदद मिलेगी कि किन रोगियों के लिए यह सही हो सकता है।
शोधकर्ताओं ने कहा, जिन 70 लाख कैंसर रोगियों के आंकड़ों का उन्होंने विश्लेषण किया, उनमें से 80,000 से अधिक लोगों की मौत मस्तिष्काघात से हुई थी। इनमें पुरुषों और महिलाओं को मस्तिष्काघात से मरने की संभावना समान थी। अध्ययन में यह भी कहा गया है कि जिन लोगों को कम उम्र में कैंसर होता है, उनमें घातक मस्तिष्काघात होने का खतरा अधिक होता है।
स्ट्रोक से 50 लाख से अधिक लोगों की हो चुकी है मौत
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, 2018 में कैंसर के कारण लगभग 90 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई थी। जबकि द लांसेट नामक जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, दुनियाभर में 50 लाख से अधिक लोगों की मौत मस्तिष्काघात के कारण हुई। शोधकर्ताओं ने कहा कि ये दोनों बीमारियों संबंधित हो सकती हैं।