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रिटायरमेंट से पहले इन 3 बड़े मामलों में भी देने हैं फैसले CJI को

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को 17 नवंबर को रिटायर होने से पहले चार महत्वपूर्ण मुद्दों पर फैसला देना होगा। इनमें सदी के सबसे बड़े विवाद रामजन्म भूमि मामले में फैसला देना शामिल हैं। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एसए नजीर की पीठ ने इस मामले में 40 दिन सुनवाई कर 16 अक्तूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। शीर्ष कोर्ट में इस समय दीवाली की छुट्टियां चल रही हैं और कोर्ट चार नवंबर को खुलेगा।

सूत्रों के अनुसार, यह छुट्टी बाहर से दिख रही है लेकिन अंदर पूरे जोरों से काम चल रहा है और फैसले लिखने की प्रक्रिया जारी है। जजों का पूरा लिपीकीय और सचिवालय स्टाफ इस काम में लगा है। उन्होंने बताया कि छुट्टी भी उसी स्टाफ को दी गई है जिसे बहुत जरूरत है। सूत्रों के अनुसार, इस मामले में तीन फैसले आ सकते हैं, ये फैसले कैसे होंगे यह नहीं कहा जा सकता। वहीं एक सूत्र ने कहा कि फैसला सर्वसम्मति से एक ही आएगा, लेकिन उसमें जज अपनी अपनी राय अलग से व्यक्त कर सकते हैं।

सबरीमला में महिलाओं के प्रवेश का मामला :
इस मामले में संविधान पीठ ने पूरा दिन सुनवाई करने के बाद 6 फरवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था। यह फैसला पुनरविचार याचिकाओं पर है। सुप्रीमकोर्ट गत वर्ष फैसला दिया था कि केरल के सबरीमाला अयप्पा भगवान मंदिर में 10 से 50 वर्ष की महिलाएं जा सकेंगी। इस फैसले पर पुनर्विचार के लिए दायर याचिकाओं पर यह फैसला आएगा।

राफेल विमान सौदा मामला :
इस फैसले में मुख्य न्यायाधीश के साथ दो अन्य जज एसके कौल और केएएम जोसेफ हैं। यह मामला राफेल पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना मामले पर है जिसमें उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने माना है राफेल सौदे में गड़बड़ हुई है और कहा है कि चौकीदार चोर है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कोई घोटाला नहीं देखते हुए याचिका खारिज कर दी थी। इसके साथ ही इस मामले में कोर्ट के फैसले (सरकार को क्लीन चिट देने के) पर पुनर्विचार करने की याचिकाएं भी लंबित हैं। याचिकाकर्ताओं ने इस मामले में कुछ नए दस्तावेज दाखिल किए हैं जिसमें सौदे में गड़बड़ी का दावा किया गया है। उन्होंने कोर्ट से कहा है इस पर फिर से विचार किया जाए।

सीजेआई का दफ्तर आरटीआई में आएगा या नहीं :
जस्टिस गोगोई की संविधान पीठ इस मुद्दे पर फैसला देगी क्या मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय सूचना के अधिकार कानून, 2005 के दायरे में आता है या नहीं। 2010 में दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला दिया था कि सीजेआई का कार्यालय सूचना कानून के दायरे में है। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट रजिस्टी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनैाती दी थी। बाद में इस मामले को संविधान पीठ को सौंप दिया गया था। पीठ ने 4 अप्रैल को इस मुद्दे पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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