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पाकिस्तान के भविष्य का फैसला आज, हो सकता है ब्लैकलिस्ट

आतंकियों को पनाह देने वाले पाकिस्तान पर वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की काली सूची में शामिल होने का खतरा बढ़ गया है। दरअसल, कश्मीर पर दुष्प्रचार करने वाला पाक आतंकियों को पैसे मुहैया कराने और मनी लॉन्ड्रिंग रोकने में नाकाम साबित हुआ है।

ऐसे में सोमवार से फ्रांस की राजधानी पेरिस में शुरू हो रही एफएटीएफ की बैठक पर पूरी दुनिया की निगाहें हैं। एफएटीएफ ने जून 2018 में पाकिस्तान को ग्रे सूची में डाल दिया था और 27 बिंदुओं पर कार्रवाई की योजना को अमल में लाने के लिए एक साल का समय दिया गया था।

इसमें मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी संगठनों की वित्त मुहैया कराने को लेकर बैंकिंग व गैर बैंकिंग, कॉर्पोरेट व गैर कॉर्पोरेट सेक्टरों से रोकने के उपाय करने थे।

बताया जा रहा है कि सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन ऑफ पाकिस्तान द्वारा तैयार की गई अनुपालन रिपोर्ट को पाक के आर्थिक मामलों के मंत्री हमाद अजहर के सामने जांचा जाएगा।

अगस्त, 2019 में एफएटीएफ के एशिया प्रशांत संयुक्त समूह (एपीजेजी) ने मानकों का पालन नहीं करने पर ग्रे सूची बरकरार रखी थी। पाकिस्तान 27 बिंदुओं वाली कार्रवाई योजना में से सिर्फ 6 पर ही खरा उतर पाया था। ऐसे में पाकिस्तान पर काली सूची में डाले जाने का खतरा और बढ़ गया है।

क्या है एफएटीएफ, जो आतंकी फंडिंग मामले में पाक को करेगा ब्लैकलिस्ट

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) एक अंतर-सरकारी निकाय है जिसे फ्रांस की राजधानी पेरिस में जी7 समूह के देशों द्वारा 1989 में स्थापित किया गया था। इसका काम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग), सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार और आतंकवाद के वित्तपोषण पर निगाह रखना है।

इसके अलावा एफएटीएफ वित्त विषय पर कानूनी, विनियामक और परिचालन उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन को बढ़ावा भी देता है। एफएटीएफ का निर्णय लेने वाला निकाय को एफएटीएफ प्लेनरी कहा जाता है। इसकी बैठक एक साल में तीन बार आयोजित की जाती है।

क्या करता है एफएटीएफ

एफएटीएफ अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली को दुरुपयोग से बचाने के लिए राष्ट्रीय स्तर की कमजोरियों की पहचान करने के लिए काम करता है। अक्टूबर 2001 में एफएटीएफ ने धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) के अलावा आतंकवादी वित्तपोषण से निपटने के प्रयासों को शामिल किया। जबकि अप्रैल 2012 में इनकी कार्यसूची में सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार के वित्तपोषण का मुकाबला करने के प्रयासों को जोड़ा गया।

एफएटीएफ अपने द्वारा दी गई सिफारिशों को लागू करने में देशों की प्रगति की निगरानी करता है। इसके अलावा मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण की तकनीकों को खत्म करने की उपायों की समीक्षा करता है। इसके साथ ही एफएटीएफ विश्व स्तर पर अपनी सिफारिशों को अपनाने और लागू करने को बढ़ावा देता है।

एफएटीएफ के सदस्य और पर्यवेक्षक, क्या पाकिस्तान इसका सदस्य है…

वर्तमान में एफएटीएफ के कुल 39 सदस्य हैं। जिसमें 37 सदस्य देश और 2 क्षेत्रीय संगठन शामिल हैं, जो दुनिया के लगभग सभी हिस्सों में सबसे प्रमुख वित्तीय केंद्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। बड़ी बात यह है कि पाकिस्तान इस संगठन का सद्स्य नहीं है।

  • अर्जेंटीना
  • ऑस्ट्रेलिया
  • ऑस्ट्रिया
  • बेल्जियम
  • ब्राजील
  • कनाडा
  • चीन
  • डेनमार्क
  • यूरोपीय यूनियन
  • फिनलैंड
  • फ्रांस
  • जर्मनी
  • ग्रीस
  • गल्फ़ कोऑपरेशन काउंसिल
  • हांगकांग, चीन
  • आइसलैंड
  • भारत
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  • कोरिया गणराज्य
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  • न्यूजीलैंड
  • नॉर्वे
  • पुर्तगाल
  • रूसी संघ
  • सऊदी अरब
  • सिंगापुर
  • दक्षिण अफ्रीका
  • स्पेन
  • स्वीडन
  • स्विट्जरलैंड
  • तुर्की
  • यूनाइटेड किंगडम
  • अमेरिका

एफएटीएफ पर्यवेक्षक

  • इंडोनेशिया

एफएटीएफ का कब सदस्य बना भारत

एफएटीएफ प्लेनरी ने 24 जून 2010 को भारत में पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट को अपनाया और 25 जून 2010 को एफएटीएफ के 34वें सदस्य देश के रूप में भारत को शामिल किया।

एफएटीएफ के अध्यक्ष

वर्तमान में एफएटीएफ के अध्यक्ष पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के जियांगमिन लियू हैं जिन्होंने 1 जुलाई 2019 को अपना कार्यभार ग्रहण किया है। उन्होंने अमेरिका के मार्शल बिलिंगस्ले का स्थान लिया है। भारत से अब तक कोई भी इस संगठन का अध्यक्ष नहीं बन पाया है।

एफएटीएफ के अध्यक्ष की नियुक्ति एक साल के लिए होती है। जिसे सदस्य देशों में से एफएटीएफ प्लेनरी द्वारा नियुक्त किया जाता है। अध्यक्ष का कार्यकाल एक जुलाई से शुरू होता है और अगले वर्ष के 30 जून को समाप्त होता है। अध्यक का काम एफएटीएफ प्लेनरी और स्टीयरिंग ग्रुप की बैठकों का आयोजन और अध्यक्षता करना होता है। इसके अलावा वह एफएटीएफ सचिवालय की देखरेख भी करते हैं।

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