हालांकि विशेषज्ञों ने शुल्क बढ़ोतरी में उपभोक्ता सामानों को भी शामिल किए जाने के कारण ट्रंप के इस कदम की आलोचना की है। उनका मानना है कि इससे अमेरिका की अपनी अर्थव्यवस्था को भी झटका लग सकता है। ताजा बढ़ोतरी के बाद अमेरिका में मशहूर ‘हॉलीडे शॉपिंग सीजन’ से पहले कुछ कपड़े 87 फीसदी तक, जूते 52 फीसदी तक महंगे हो सकते हैं। इसके अलावा खेल और अन्य उपभोक्ता उत्पाद भी बेहद महंगे हो सकते हैं। आसान भाषा में कहा जाए तो अमेरिका में चीन से आयात किए जाने वाला लगभग दो तिहाई उपभोक्ता सामान अब महंगा हो जाएगा।
बता दें कि ट्रंप प्रशासन ने इससे पहले चीनी उत्पादों पर शुल्क बढ़ोतरी करते हुए उपभोक्ता सामानों को इससे अलग ही रखने की कोशिश की थी। लेकिन इस बार की गई बढ़ोत्तरी के बाद अधिकतर खुदरा सामानों की कीमतें बढ़ सकती हैं।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था को गतिशील रखने में वहां के बाजारों में होने वाले उपभोक्ता व्यय का प्रमुख योगदान माना जाता है। ऐसे में उपभोक्ता सामानों के दाम में वृद्धि से बाजारों में खरीद में कमी आ सकती है, जो अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाएगी। विशेषज्ञों का कहना है कि कमजोर वैश्विक वृद्धि की वजह से कमजोर निर्यात और कारोबारियों की तरफ से निवेश व्यय में कमी के कारण धीमी पड़ रही अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए उपभोक्ता खर्च ही सुनहरी उम्मीद जैसा है, लेकिन नई शुल्क बढ़ोतरी से इस पर भी अंकुश लग जाएगा और इसका नुकसान अर्थव्यवस्था को ही होगा।
कंपनियों ने दे दी है चेतावनी
15 दिसंबर को और खराब होगी स्थिति
इस शुल्क बढ़ोतरी के लागू होने पर चीन की तरफ से अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले तकरीबन सभी उत्पाद इसके दायरे में आ जाएंगे। इसके अलावा राष्ट्रपति ने पहले से ही 250 अरब डॉलर के चीनी उत्पादों के एक अन्य समूह पर लगाई गई 25 फीसदी शुल्क बढ़ोतरी को एक अक्टूबर से बढ़ाकर 30 फीसदी करने की घोषणा भी कर दी है।
अमेरिकी उपभोक्ताओं को भारी पड़ रही ट्रेड वार
जेपी मोर्गन के एक अध्ययन के मुताबिक, ट्रेड वार के कारण अमेरिकी घरों का खर्च औसतन 1000 डॉलर सालाना बढ़ गया है। यह अध्ययन ट्रंप की तरफ से एक सितंबर को और 15 दिसंबर को 15-15 फीसदी शुल्क और बढ़ाने के ऐलान से पहले की गई थी। इसका मतलब है कि रविवार से लागू हुई शुल्क बढ़ोतरी से अमेरिकी घरों का रहन-सहन और ज्यादा महंगा हो जाएगा।