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अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए खतरा ,ट्रंप ने फिर बढ़ाया 112 अरब डॉलर के चीनी उत्पादों पर शुल्क,

विश्व की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच तकरार के कारण वैश्विक आर्थिक मंदी उपजने के संकेतों के बावजूद चीन और अमेरिका के बीच चल रही ट्रेड वार खत्म होती नहीं दिखाई दे रही है। चीन पर नए व्यापार समझौते के लिए दबाव बनाने की कवायद में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर उसके करीब 112 अरब डॉलर के उत्पादों के आयात पर 15 फीसदी शुल्क बढ़ा दिया है। यह निर्णय रविवार से प्रभावी हो गया।

हालांकि विशेषज्ञों ने शुल्क बढ़ोतरी में उपभोक्ता सामानों को भी शामिल किए जाने के कारण ट्रंप के इस कदम की आलोचना की है। उनका मानना है कि इससे अमेरिका की अपनी अर्थव्यवस्था को भी झटका लग सकता है। ताजा बढ़ोतरी के बाद अमेरिका में मशहूर ‘हॉलीडे शॉपिंग सीजन’ से पहले कुछ कपड़े 87 फीसदी तक, जूते 52 फीसदी तक महंगे हो सकते हैं। इसके अलावा खेल और अन्य उपभोक्ता उत्पाद भी बेहद महंगे हो सकते हैं। आसान भाषा में कहा जाए तो अमेरिका में चीन से आयात किए जाने वाला लगभग दो तिहाई उपभोक्ता सामान अब महंगा हो जाएगा।

बता दें कि ट्रंप प्रशासन ने इससे पहले चीनी उत्पादों पर शुल्क बढ़ोतरी करते हुए उपभोक्ता सामानों को इससे अलग ही रखने की कोशिश की थी। लेकिन इस बार की गई बढ़ोत्तरी के बाद अधिकतर खुदरा सामानों की कीमतें बढ़ सकती हैं।

अमेरिकी अर्थव्यवस्था को गतिशील रखने में वहां के बाजारों में होने वाले उपभोक्ता व्यय का प्रमुख योगदान माना जाता है। ऐसे में उपभोक्ता सामानों के दाम में वृद्धि से बाजारों में खरीद में कमी आ सकती है, जो अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाएगी। विशेषज्ञों का कहना है कि कमजोर वैश्विक वृद्धि की वजह से कमजोर निर्यात और कारोबारियों की तरफ से निवेश व्यय में कमी के कारण धीमी पड़ रही अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए उपभोक्ता खर्च ही सुनहरी उम्मीद जैसा है, लेकिन नई शुल्क बढ़ोतरी से इस पर भी अंकुश लग जाएगा और इसका नुकसान अर्थव्यवस्था को ही होगा।

कंपनियों ने दे दी है चेतावनी

ट्रंप की तरफ से बढ़ाए गए शुल्क के परिणाम के तौर पर बहुत सारी अमेरिकी कंपनियों ने यह बोझ उपभोक्ताओं पर ही डालने की चेतावनी दी है। हालांकि माना जा रहा है कि कुछ उद्योग बाद में उच्च खर्च का बोझ अपने उपभोक्ताओं पर लादने के बजाय खुद ही वहन करने का निर्णय ले सकते हैं।

15 दिसंबर को और खराब होगी स्थिति

ट्रंप प्रशासन ने 15 फीसदी शुल्क बढ़ोतरी के अगले राउंड के तौर पर 15 दिसंबर की समयसीमा तय की है। इस तारीख तक व्यापार समझौते को लेकर कोई फैसला नहीं होने पर करीब 160 अरब डॉलर के आयात पर शुल्क बढ़ाया जाएगा।

इस शुल्क बढ़ोतरी के लागू होने पर चीन की तरफ से अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले तकरीबन सभी उत्पाद इसके दायरे में आ जाएंगे। इसके अलावा राष्ट्रपति ने पहले से ही 250 अरब डॉलर के चीनी उत्पादों के एक अन्य समूह पर लगाई गई 25 फीसदी शुल्क बढ़ोतरी को एक अक्टूबर से बढ़ाकर 30 फीसदी करने की घोषणा भी कर दी है।

अमेरिकी उपभोक्ताओं को भारी पड़ रही ट्रेड वार

चीन और अमेरिका के बीच चल रही ट्रेड व्यापार खुद अमेरिकी नागरिकों को बेहद भारी पड़ रही है। करीब एक साल से ज्यादा समय से चल रही ट्रेड वार के कारण हो रही शुल्क बढ़ोतरी को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति का मानना है कि यह बोझ चीनी कंपनियों को उठाना पड़ रहा है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इसका खामियाजा अमेरिकी कंपनियों और उपभोक्ताओं को ज्यादा उठाना पड़ा है।

जेपी मोर्गन के एक अध्ययन के मुताबिक, ट्रेड वार के कारण अमेरिकी घरों का खर्च औसतन 1000 डॉलर सालाना बढ़ गया है। यह अध्ययन ट्रंप की तरफ से एक सितंबर को और 15 दिसंबर को 15-15 फीसदी शुल्क और बढ़ाने के ऐलान से पहले की गई थी। इसका मतलब है कि रविवार से लागू हुई शुल्क बढ़ोतरी से अमेरिकी घरों का रहन-सहन और ज्यादा महंगा हो जाएगा।

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