अमेरिकी सरकार और चीनी इलेक्ट्रोनिकस कंपनी हुवावे के बीच हुए विवाद के बाद हुवावे ने खुद का ओएस पेश किया था। अब हुवावे ने खुद की मैप सेवा की जानकारी दी है। यह गूगल मैप्स की जगह ले सकता है। हुवावे दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी स्मार्टफोन निर्माता कंपनी है।
चीनी कंपनी हुवावे ने खुद की मैप सेवा की जानकारी दी है। यह गूगल मैप्स की तरह नहीं होगा क्योंकि इसे एक साधारण व्यक्ति इस्तेमाल नहीं कर पाएगा। उदाहरण के तौर पर इसे गूगल मैप्स और वेज एप की तरह एक आम व्यक्ति इस्तेमाल नहीं कर पाएगा क्योंकि यह नेविगेशन देने वाले एप के लिए सेवादाता बनेगी और खुद का प्लेटफॉर्म तैयार करेगा, जिसे मैप किट कहा जा रहा है। हुवावे के क्लाउड सर्विस के प्रेसिडेंट जैंग पिनगैन के मुताबिक, 50 फीसदी से अधिक मोबाइल एप्लीकेशन लोकेशन आधारित सर्विस उपलब्ध कराते हैं।
40 भाषा में उपलब्ध होगा हुवावे मैप्स किट
हुवावे द्वारा तैयार किए जाने वाली यह सेवा 40 से अधिक भाषाओं को सपोर्ट करेगी और 150 देशों से अधिक लोगों तक अपनी सेवाएं पहुंचाएगी। साथ ही कंपनी का दावा है कि यह नेविगेशन सिस्टम रियल टाइम ट्रैफिक की व्यवस्था देगा। कंपनी का कहना है कि यह सिस्टम अब तक के पुराने सिस्टम से एकदम अलग और बेहद ही खास होगा। अंग्रेजी वेबसाइट मैशेबल के मुताबिक, हुवावे की मैप्स किट एक विशेष लेन में चलने वाली ट्रैफिक व्यवस्था के बारे में भी बताने को सक्षम होगी। इतना ही यह ऑग्यूमेंटेड रिएलिटी सिस्टम को सपोर्ट करेगी, जो एक आधुनिक और भविष्य में उपयोग आने वाला फीचर है।
ज्यादा सटीकता की संभावना
चीनी अखबार चाइना डेली के मुताबिक, हुवावे मैप्स किट स्थानीयल मैपिंग फीचर से जुड़ होगा। ऐसे में यह ज्यादा सटीकता के साथ परिणाम देगा और बेहतर स्पष्टता भी उपलब्ध कराएगा।
अमेरिका में किया गया था प्रतिबंधित
कुछ महीने पहले हुवावे को अमेरिका में प्रतिबंधित किया गया था। उसके बाद ही कंपनी ने कहा था कि वह अपना ऑपरेटिंग सिस्टम लॉन्च करेगी। बता दें कि हुवावे पर अमेरिकी नागरिकों की जासूसी का आरोप है। हुवावे को अमेरिका ने जासूसी के आरोप में ब्लैकलिस्ट करके एनटिटी लिस्ट में डाल दिया था। इस लिस्ट में जाने के बाद कंपनियों के पास अमेरिकी कंपनियों से बिजनेस करने का लाइसेंस नहीं रह जाता है। यह मामला पिछले साल दिसंबर से ही चल रहा है।
आईओटी में अहम होगा हार्मोनी
हार्मनी ओएस लॉन्च किए जाने के अवसर पर हुवावे कंज्यूमर बिजनेस के सीईओ रिचर्ड यू ने बताया कि ऑपरेटिंग सिस्टम स्मार्टफोन, स्मार्ट स्पीकर्स के साथ सेंसर के लिए भी कंपैटिबल है, जो मशहूर हो रहे इंटरनेट ऑफ थिंग्स का भी हिस्सा है। 2020 तक यह स्मार्टफोन और कारों में नजर आने वाला एक आम ऑपरेटिंग सिस्टम हो जाएगा। हार्मनीओएस माइक्रोकेरनल पर आधारित है, यानी यह कम से कम संसाधनों का इस्तेमाल कर सुनिश्चित करेगा कि ऑपरेटिंग स्पीड तेज हो। इसमें आर्क कम्पाइलर है, जो सी/, सीप्लसप्लस, जावा, जावा्क्रिरप्ट और कोटलिन समेत सभी बड़ी लैंग्वेज को सपोर्ट करता है। कंपनी के मुताबिक, यह कई मायनों में एंड्रॉयड से भी अच्छा साबित हो सकता है।
सभी फोन में करेगा काम
हुवावे का हार्मनी ऑपरेटिंग सिस्टम सबसे पहले स्मार्ट टेलीविजन और स्मार्टफोन में दिया जाएगा। जिसके बाद इसे दूसरे डिवाइस में उपलब्ध कराएगी, लेकिन इस काम में 3 साल का वक्त लगेगा। फिलहाल इस ओएस का इस्तेमाल चीनी यूजर ही कर पाएंगे, लेकिन कंपनी जल्द ही इसे दूसरे देशों में लॉन्च करेगी। कंपनी का कहना है कि इस ऑपरेटिंग सिस्टम को दुनिया के सभी तरह के स्मार्टफोन में इस्तेमाल किया जा सकेगा। यानी जिन स्मार्टफोन में गूगल का एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम है, वे भी इसे इस्तेमाल कर पाएंगे। कंपनी का कहना है कि इस ओएस पर सभी तरह के ऐप्स मिलेंगे और आने वाले दिनो में सभी कंपनियां इसके लिए एप तैयार करेंगी। हुवावे दुनियाभर के एप डेवलपर्स को इस ओएस के लिए ऐप बनाने का ओपन प्लेटफॉर्म देना चाहती है।
सैमसंग भी बना रहा है खुद का ओएस
हुवावे पहली ऐसी कंपनी नहीं है, जिसमें ऑपरेटिंग सिस्टम की दुनिया में खुद को खड़ा करने के लिए खुद का ओएस तैयार किया है। बल्कि सैमसंग ने टिजेन ओएस तैयार किया था। सैमसंग ने एंड्रायड ओएस पर अपनी निर्भरता कम करने के मद्देनजर 2014 में पहली बार अपनी टिजेन ऑपरेटिंग पर आधारित Z1 स्मार्टफोन लॉन्च किया था। तिजेन लिनक्स कर्नेल और लिनक्स एपीआई वाला जीएनयू सी-लाइब्रेरी पर चलता है। यह फोन, टैबलेट, वाहन-मनोरंजक उपकरणों, स्मार्ट टीवी, व्यक्तिगत संगणक, स्मार्ट कैमरा, पहनने योग्य कंप्यूटर, स्मार्टवॉच, डीवीडी प्लेयर, प्रिंटर और घरेलू सामान सहित विभिन्न यंत्रों में इस्तेमाल होता है।
गूगल खुद खोज रहा है एंड्रॉयड का विकल्प
हुवावे ने अपना शुरुआती कदम गूगल की तरह आगे बढ़ाया है। दरअसल, गूगल नया ऑपरेटिंग सिस्टम फ्यूशिया तैयार कर रहा है, जो फोन, टीवी, कार और घड़ी तक को सपोर्ट करेगा और यह माइक्रोकेनरल आधारित होगा। हालांकि अभी इस ऑपरेटिंग सिस्टम पर परीक्षण चल रहा है और इसे कब तक व्यवसायिक तौर पर लॉन्च किया जाएगा, उसकी जानकारी नहीं है।