राफेल विमानों की आपूर्ति शुरू होने के साथ ही वायुसेना पुराने पड़ चुके मिग विमानों को हटाने का काम शुरू कर देगी। अगले तीन सालों में मिग बाइसन को छोड़कर बाकी सभी श्रेणी के मिग विमानों को हटाने की योजना पर कार्य चल रहा है। देश में निर्मित लड़ाकू विमान तेजस को अंतिम संचालनात्मक मंजूरी मिलने से भी मिग को हटाने के कार्य में तेजी आएगी।
फ्रांस अगले महीने से भारत को मिग विमानों की आपूर्ति शुरू करेगा। उम्मीद है कि अगले तीन सालों के दौरान सभी 36 विमानों की आपूर्ति भारत को हो जाएगी। राफेल के आने के साथ ही मिग-21 विमानों को हटाने की कार्रवाई शुरू हो जाएगी। वायुसेना प्रमुख बी. एस. धनोआ ने कहा कि इस साल के अंत तक मिग-21 विमानों को हटा दिया जाएगा। अभी करीब 38 मिग-21 विमान सेवा में हैं। वे 44 साल पुराने मिग विमानों के इस्तेमाल पर चिंता जता चुके हैं।
वायुसेना के सूत्रों के अनुसार मिग 29, 27, तथा 23 श्रेणी के सौ से भी अधिक विमान वायुसेना के पास हैं। जबकि करीब 112 मिग बाइसन हैं। चूंकि मिग बाइसन अपग्रेड किए हुए मिग हैं, इसलिए उनका इस्तेमाल जारी रखा जाएगा। लेकिन बाकी अन्य श्रेणी के मिग विमानों को चरणबद्ध तरीके से हटाया जाएगा। दरअसल, राफेल विमानों की आपूर्ति के साथ-साथ वायुसेना को निकट भविष्य में अंतिम संचालनात्मक मंजूरी के साथ तेजस के भी हासिल होने की उम्मीद है। तेजस को यह मंजूरी जल्द मिलने की संभावना है। इसलिए राफेल और तेजस के आने से वायुसेना की मिग विमानों पर निर्भरता खत्म होगी।
इस बीच, यह अटकलें हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान फ्रांस 36 और राफेल विमानों की खरीद का प्रस्ताव दे सकता है। सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री की मौजूदा फ्रांस यात्रा के दौरान फिर से चर्चा हो सकती है। फ्रांस राफेल की दो और स्वाड्रन का प्रस्ताव भारत को दे सकता है। हालांकि वायुसेना की जरूरत 200 लड़ाकू विमानों की है, इसलिए निकट भविष्य में लड़ाकू विमानों की खरीद की प्रक्रिया आगे बढ़नी तय है।