ब्रेकिंग स्क्राल
Home / अध्यात्म / नाग पंचमी-सावन का तीसरा सोमवार आज

नाग पंचमी-सावन का तीसरा सोमवार आज

5 अगस्त, सोमवार 2019। कल्कि जयंती। नाग पंचमी। सोमेश्वर पूजन। सूर्य दक्षिणायन। सूर्य उत्तर गोल। वर्षा ऋतु। आज कोई भी शुभ काम करने के बारे में सोच रहे हैं तो पहले यहां दिन के शुभ समय और राहुकाल के बारे में जानकारी कर सकते हैं।

आज प्रात: 7.30 बजे से प्रात: 9 बजे तक राहुकालम्। इस दौरान कोई शुभ या नया काम नहीं करना चाहिए। आज अभिजीत मुहूर्त दिन में 12 बजे से 12:53 बजे तक है। शुभ कार्यों के लिए यह समय उपयुक्त है।

5 अगस्त, सोमवार 2019, 14 श्रावण (सौर) शक 1941, 21 श्रावण मास प्रविष्टे 2076, 3 जिल हिज्ज सन् हिजरी 1440, श्रावण शुक्ल पंचमी सायं 3.55 बजे तक उपरांत षष्ठी, हस्त नक्षत्र रात्रि 11.48 बजे तक तदनंतर चित्रा नक्षत्र, सिद्ध योग रात्रि 8.16 बजे तक पश्चात् साध्य योग, बालव करण, चंद्रमा कन्या राशि में (दिन-रात)।

सावन का तीसरा सोमवार और नाग पंचमी आज (5 अगस्त 2019 ) एक साथ हैं। शिव भक्तों के लिए नाग पंचमी और सावन सोमवान का दुर्लभ संयोग दशकों में बाद आया है। माना जाता है कि सोववार और नाग पंचमी एक साथ आने से सोमवार का व्रत रखना और नाग पंचमी पूजा दोनों का महत्व बढ़ जाता है। ऐसे योग में भगवान शिव की उपासना करने और नागों की पूजा करने से भोलेनाथ के भक्तों पर विशेष कृपा बरसती है। यह दिन पितृ दोष और काल शर्प दोष दूर करने के लिए बहुत ही उत्तम माना गया है।

क्यों होती है नागों की पूजा-
इसे वैज्ञानिक आधार पर सोंचे तो भारत एक कृषि प्रधान देश है। फसलों में लगने वाले चूहों से बचने के लिए सांपों को संरक्षण देना जरूरी है। और नाग पंचमी पूजा से सर्पों को संरक्षण देने की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलता है। शायद यही वजह है कि हजारों साल से देश के किसान सांपों को नाग देवता मानकर उनकी पूजा करते आ रहे हैं।

धार्मिक आधार-
कई पौराणिक कथाओं में नागों को भगवान शिव का गण माना गया है। साथ भगवान विष्णु के शेषनाग की शय्या पर विराजमान होने से विष्णु का भी सेवक माना गया है। ऐसे में नागों को किसी प्रकार का नुकसान पहुंचाना वर्जित माना गया है।

पूजन-मंत्र
अगस्तश्च् पुलसतश्च् सर्वनागमेव च मम कुले रक्षाय नाग देवाय नमो नम:।।

नाग पंचमी पूजा का शुभ मुहूर्त
सुबह 06:22 से 10:49 पूर्वाह्न तक। सर्वार्थ योग।

नांग पंचमी पूजा विधि-
नागों को अपने जटाजूट तथा गले में धारण करने के कारण ही भगवान शिव को काल का देवता कहा गया है। इस दिन गृह-द्वार के दोनों तरफ गाय के गोबर से सर्पाकृति बनाकर अथवा सर्प का चित्र लगाकर सुबह उन्हें जल चढ़ाया जाता है। इसके साथ ही उन पर घी -गुड़ चढ़ाया जाता है। शाम को सूर्यास्त होते ही नाग देवता के नाम पर मंदिरों और घर के कोनों में मिट्टी के कच्चे दिए में गाय का दूध रखा जाता है। शाम को भी उनकी आरती और पूजा की जाती है।

इस दिन शिवजी की आराधना करने से कालसर्प दोष, पितृदोष का आसानी से निवारण होता है। भगवान राम के छोटे भाई लक्षण मो शेषनाग का अवतार माना गया है।

About The Achiever Times

Check Also

इन दो बड़े ग्रहों का शुभ योग बन रहा चैत्र नवरात्रि पर

चैत्र मास को हिंदू धर्म का पहला महीना माना जाता है। इस महीने मां दुर्गा …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *