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महिलाओं को अस्पतालों की नमी बना रही बीमार

बारिश की वजह से अस्पतालों की नमी मरीजों को और बीमार बना रही है। उन्हें पेशाब संबंधी संक्रमण यूटीआई बांट रहा है। सबसे ज्यादा क्वीनमेरी में भर्ती महिलाएं संक्रमण की जद में आ रही हैं।

बीते एक हफ्ते के दौरान कई महिलाएं यूटीआई की चपेट में आ गई हैं। यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। क्वीनमेरी के जनरल व पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड में बीते हफ्ते संक्रमण से पीड़ित 23 मरीज भर्ती थीं। वहीं सोमवार को यह संख्या बढ़कर 29 हो गई। गोंडा निवासी सीमा ने बताया कि प्रसव के बाद उन्हें वार्ड में शिफ्ट किया गया। उनके बेड पर सुबह दूसरा मरीज था। मरीज की छुट्टी होने के बाद आया ने चादर नहीं बदली। इसके चलते उन्हें संक्रमण हो गया। 
इमरीजों के मुताबिक वार्ड की ज्यादातर खिड़कियां खुली रहती हैं। इस वजह से मच्छर अंदर आ रहे हैं। पोछा लगाने के बाद ड्रायर का इस्तेमाल नहीं किया जाता जिससे फर्श देर तक नहीं सुखती। वार्ड में सेनेटाइजर के इंतजाम भी नहीं है। कई बार वार्ड में तीन बार की जगह एक ही बार फर्श साफ करते हैं। 

छह महीने पहले अस्पताल में प्रतिदिन चादर बदलने व साफ-सफाई के निर्देश दिए जा चुके हैं। इसके बावजूद भी मरीजों को सफाई के संबंध में कोई समस्या हो तो नर्स सुप्रीटेंडेंट या सीधे चिकित्सा अधीक्षिका से शिकायत कर सकते हैं। 
डॉ. सुधीर सिंह, प्रवक्ता, केजीएमयू

बैक्टीरिया पर एंटीबायोटिक बेअसर
बरेली। यूरिन इन्फैक्शन यानि पेशाब के संक्रमण को हल्के में लेना जानलेवा हो सकता है। आईवीआरआई में यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फैक्शन (यूटीआई) से पीड़ित मरीजों पर हुए शोध में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। वैज्ञानिकों को तमाम मरीजों के मूत्र में पेट का दुश्मन कहलाने वाला ईकोलाई बैक्टीरिया मिला है। कई मरीजों में सुपरबग बन चुका ईकोलाई मिला है, जो पहले से अधिक ताकतवर हो चुका है। इस बैक्टीरिया पर बाजार में उपलब्ध ज्यादातर एंटीबायोटिक बेअसर हैं। लापरवाही उनकी जान की दुश्मन बन सकती है। 

आईवीआरआई के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. भोजराज सिंह ने यूटीआई में कारगर एंटीबायोटिक का पता लगाने के लिए अध्ययन किया। इसमें विभिन्न पैथोलॉजी लैब से यूटीआई पीड़ित 346 मरीजों के सैंपल लिए गए। इनमें से 24 प्रतिशत मरीजों यानी 80 में संक्रमण का जिम्मेदार ई-कोलाई बैक्टीरिया मिला। इसमें से 25 प्रतिशत मामलों में तो ईकोलाई सुपरबग बन चुका था। सुपरबग जमाने की कार्बापेनम ग्रुप एंटीबायोटिक से प्रतिरोधी क्षमता विकसित कर चुके थे। साफ है कि सुपरबग बन चुके ई-कोलाई पर तमाम एंटीबायोटिक बेअसर रहीं।

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