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शादी के बाद पैसे की दिक्कत आ रही है तो ये 5 बातें आपके काम की हैं…

शादी के बाद व्यक्ति की जिम्मेदारी बढ़ जाती है, जब तक कोई भी व्यक्ति अकेले रहता है तब तक बहुत अधिक जिम्मेदारियों से वंचित रहता है, लेकिन शादी होने के बाद कई तरह के दायित्व आ जाते हैं। अगर बात आर्थिक परिदृश्य की हो तो इस पर गौर करना चाहिए। मैरिड कपल्स के लिए ऐसे ही कुछ फाइनेंशियल टिप्स हैं जो उन्हें शादी के बाद अपने वित्त का प्रबंध करने में मददगार साबित होगी।
पैसे को लेकर बात करें
यह सीखना जरूरी है कि एक-दूसरे की मनी माइंडसेट के बारे में कैसे बात करें और उनमें से प्रत्येक के लिए पैसे का उपयोग कैसे करना है। इस बात पर खुली चर्चा करने से छोटे और दीर्घकालिक वित्तीय लक्ष्यों को पहचानने में मदद मिल सकती है। सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर मणिकरण सिंघल कहते हैं, ‘यदि आप एसआईपी में निवेश कर रहे हैं या आरडी में निवेश कर रहे हैं, तो इन सभी बातों पर चर्चा करें।
फाइनेंशियल गोल सेट करें 
शादी के बाद अगर दोनों लोग कमाने वाले हैं तो इसके कई फायदे हैं। इससे खर्चों को दोगुना किये बिना आय को दोगुना किया जा सकता है। पैसे के लिए तैयार रहना और साथ मिलकर इसके लिए एक गोल सेट करना काफी कारगर सिद्ध होगा। सिंघल कहते हैं, ‘कपल्स को लाइफ इंश्योरेंस या हेल्थ इंश्योरेंस भी लेना चाहिए। इसके अलावा निवेश गोल बेस्ड होना चाहिए।’ दरअसल, जहां तक गोल की बात है तो यह व्यक्तिगत और कॉमन भी हो सकता है। कपल्स में दोनों लोगों की अपनी कुछ अलग इच्छाएं भी हो सकती हैं, जिन्हें पूरा करना है। इसलिए कॉमन और व्यक्तिगत गोल का भी ख्याल रहे।
जॉइंट इमरजेंसी फंड तैयार करें
मणिकरण सिंघल कहते हैं, ‘शादी के बाद पैसे के प्रबंधन के तौर पर निवेश और बीमा दोनों अलग-अलग होना चाहिए. इसके फर्क को समझते हुए आगे बढ़ें। जॉइंट इमरजेंसी फंड से आप किसी भी मुश्किल समय में पैसे पा सकते हैं और किसी भी तरह की वित्तीय कठिनाई में आपको मदद मिलेगी। इमरजेंसी फंड की स्थापना किसी भी अनचाही स्थितियों के लिए पैसे-तैयार होने का एक अच्छा तरीका है। इसके लिए आप किसी वित्तीय सलाहकार या योजनाकार की मदद ले सकते हैं। महीने, तीन महीने या छमाही आधार पर इसकी समीक्षा भी करते रहें।
कर्ज के बारे जानकारी और उसका भुगतान
एक्सपर्ट कहते हैं कि पार्टनर्स को पहले से चल रहे ई एम आई और क्रेडिट कार्ड बिल से परेशान नहीं होना चाहिए। इसके बजाय, उन्हें एक दूसरे के कर्ज के भुगतान करने में मदद करना चाहिए। इसके अलावा क्रेडिट कार्ड/ई एम आई पर निगरानी रखने से बचने के लिए बजट बनाना और मंथली कैश फ्लो को ध्यान में रखना बेहतर है।
प्रियंका मिश्रा
द अचीवर टाइम्स लखनऊ

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