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भोपाल के तापमान की खबरें हमेशा आती रहती है। ठंड के मौसम में गिरते हुए तापमान की हेडलाइंस प्रदर्शित की जाती है। यदि किसी शहर का तापमान 10 डिग्री से नीचे चला जाए तो बहुत बड़ी खबर होती है। 5 डिग्री से नीचे ब्रेकिंग न्यूज़ और यदि तापमान 0 डिग्री हो जाए तो रूम हीटर में बैठे न्यूज़ पढ़ने वाले लोगो को ठंड लगने लगती है। परंतु अपनी ही दुनिया में एक गांव ऐसा भी है जहां -50 डिग्री सेल्सियस को सामान्य तापमान माना जाता है।
ओम्याकोन गांव: न्यूनतम तापमान -71.2 डिग्री, 900 लोगों की आबादी
यह गांव रूस (Russia) के साइबेरिया में स्थित है और इसका नाम ओम्याकोन हैं। आइए ओम्याकोन गांव में थोड़ा घूम कर आते हैं और यहां के लोगों को भी देखते हैं। इस गांव को अंटार्कटिका के बाहर दुनिया का सबसे बडा़ ठंडा आबादी वाला क्षेत्र माना जाता है। इस गांव की आबादी करीब 900 है। इस गांव का सर्वाधिक न्यूनतम तापमान -71.2 डिग्री सेल्सियस है जो सन 1924 में रिकॉर्ड किया गया है।
दुनिया के सबसे ठंडे ओम्याकोन गांव का स्कूल इस गांव में केवल एक ही स्कूल है जहां 25 टीचर मिलकर 200 बच्चों को पढ़ाते हैं। मजेदार की बात यह है कि इस गांव में बच्चे न्यूनतम तापमान में नियमित रूप से स्कूल जाते हैं परंतु यदि तापमान -50 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता है, यानी -40 डिग्री सेल्सियस से कम पहुंच जाता है तो फिर बच्चों के घर से और क्लास रूम से बाहर निकलने की प्रतिबंध लगा दी जाती है।
ओम्याकोन गांव में वाहन का इंजन बंद नहीं किया जाता है,
जैसे भारत के महाराष्ट्र राज्य में स्थित शिंगणापुर गांव में घरों के दरवाजों पर ताले नहीं लगाए जाते हैं वैसे ही रूस के इस गांव में वाहन का इंजन बंद नहीं किया जाता है। इसके पीछे कोई धार्मिक मान्यता नहीं है बल्कि मौसम की मजबूरी है। इतने कम तापमान में यदि वाहन का इंजन बंद हो जाता है तो अगर दुबारा से इंजन स्टार्ट करते है तो इंजन जाम हो जाता है और ओम्याकोन गांव में कपड़े अधिकतम 30 सेकंड में सूख जाते हैं
50 डिग्री सेल्सियस वाले गांव में जहां पानी बर्फ बन जाता है, वहाँ पर आपके कपड़े होते हैं तो आपके कपड़े अधिकतम 30 सेकंड में सूख जाएंगे। इस गांव में पानी की उपलब्धता तभी तक रहती है जब तक वह पानी गर्म हो तो लोग गर्म पानी में ही कपड़े धोते हैं। बाहर निकलते ही कपड़ों से पानी निचोड़ दिया जाता है और कपड़ों में शेष बचा पानी -50 डिग्री सेल्सियस तापमान के कारण पलक झपकते ही बर्फ बन जाता है। बस, कपड़े का पानी झिटकते बर्फ जमीन पर गिर जाता है और कपड़ा सूख जाता है।
रिचा निगम
द’ अचीवर टाइम्स लखनऊ