सरकार शेयर बाजार निवेशकों को कर छूट देने की तैयारी कर रही है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री कार्यालय और वित्त मंत्रालय मिलकर एक ऐसी कार्ययोजना पर काम कर रहे हैं जिसमें शेयर निवेश पर लगने वाले टैक्स बोझ को कम कर इसे अंतरराष्ट्रीय बाजार के समान लाया जाएगा।
शेयर बाजार में अभी लंबी अवधि का पूंजीगत लाभ कर , छोटी अवधि का पूंजीगत लाभ , सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (एसआईटी) और डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (डीडीटी) लगता है। वित्त मंत्रालय इन तीनों टैक्स की समीक्षा कर रहा है। समीक्षा करते हुए यह देखा जा रहा है कि कहां-कहां, किस-किस टैक्स को पूरी तरह से हटाया जा सकता है, किन टैक्स की दरों में कटौती की जा सकती है या फिर नियमों में किस तरह का बदलाव किया जा सकता है। डीडीटी में कटौती को लेकर डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स (डीईए) और वित्त मंत्रालय में राजस्व विभाग के अधिकारियों ने पीएमओ के अधिकारियों के साथ बैठकें की हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक डीडीटी को पूरी तरह खत्म करने पर भी विचार किया जा रहा है।
बजट से पहले ऐलान संभव : शेयर बाजार निवेशकों को कर छूट देने की घोषाणा बजट से पहले हो सकती है। बताया जा रहा है कि मोदी सरकार बजट से पहले ही इन उपायों का ऐलान कर सकती है।
निवेशक नाराज : इक्विटी के साथ ही सिक्युरिटीज (प्रतिभूति) की खरीद-बिक्री पर एसटीटी चार्ज किया जाता है। निवेशक एसटीटी में कमी करने या इसे हटाने की मांग कर रहे हैं। हालांकि, इससे सरकार को भारी आमदनी होती है। साल 2004 में कैपिटल गेंस को खत्म करने के बाद इसे लागू किया गया था। बायबैक पर लगाया गया 20% टैक्स से भी निवेशक नाराज हैं।
दो महीने से चल रहा काम
वित्त मंत्रालय शेयर बाजार में निवेश पर लगने वाले कर की समीक्षा पिछले दो महीने से कर रहा था। अब अधिकारियों का एक समूह इस पूरे प्रस्ताव को अंतिम रूप देने में जुटा हुआ है। माना जा रहा है कि नवंबर के आखिर तक इस प्रस्ताव को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। उसके बाद पीएमओ से मंजूरी मिलते ही इसका ऐलान किया जा सकता है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार के समान कर
सरकार की योजना शेयर बाजार निवेशकों को कर राहत देकर अंतरराष्ट्रीय बाजार के समान कर की दर करने की है। अभी कई देशों के बाजार के मुकाबले भारतीय बाजार में कर की दर अधिक है। इससे विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने में समस्या आ रही है। कर की दर कम करने से निवेशक भारतीय बाजार की ओर तेजी से रुख करेंगे। इससे कंपनियों को पैसा जुटाना आसान होगा।