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कई राज्यों ने किया था भारी जुर्माने के प्रावधान का समर्थन

1 सितंबर 2019 से नया मोटर व्हीकल एक्ट लागू होने के बाद से ही भारी चालान को लेकर हाय-तौबा मची है। नए मोटर व्हीकल एक्ट के तहत भारी-भरकम जुर्माने का प्रावधान किया गया है, जिसके बाद से न सिर्फ विरोध के स्वर सुनाई दे रहे हैं, बल्कि कई राज्यों ने इस जुर्माने की राशि को कम भी किया है। भले ही कई राज्य इस पर ऐतराज जता रहे हों, मगर अब यह बात सामने आई है कि जब नए मोटर व्हीकल एक्ट को संसद से मंजूरी भी नहीं मिली थी, उससे पहले ही राज्यों ने संशोधित मोटर वाहन अधिनियम द्वारा जुर्माने की भारी राशि पर अपना समर्थन दिया था।

कई राज्य भले ही यातायात नियमों के उल्लंघन के लिए संशोधित मोटर वाहन अधिनियम द्वारा निर्धारित भारी जुर्माना लागू करने का विरोध कर रहे हैं, मगर अब पता चला है कि मोटर व्हीकल एक्ट में बदलाव और जुर्माने की राशि को बढ़ाने पर सरकार द्वारा अधिसूचना जारी करने से पहले कई राज्यों ने केंद्र के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किया था।

गुजरात जैसे कुछ राज्यों ने सड़क सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए अन्य राज्यों के मंत्रियों के लिए बैठकों की मेजबानी भी की थी। बता दें कि गुजरात में केंद्र सरकार के फैसले के इतर मोटर व्हीकल एक्ट में जुर्माने की राशि को कम कर कुछ राहत दी है।

परिवहन विकास समिति, जिसमें राज्य परिवहन मंत्री शामिल हैं, ने अधिनियम में संशोधनों पर चर्चा करने के लिए 2016 के बाद से पांच बैठकें कीं और संघीय परिवहन मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि किसी भी राज्य द्वारा किसी तरह की असंतुष्टि जाहिर नहीं की गई थी।

अधिनियम में संशोधनों पर चर्चा करने के लिए ये पांच बैठकें दिल्ली, बेंगलुरु, धर्मशाला, तिरुवनंतपुरम और गुवाहाटी में हुई। इन सभी बैठकों के मिनट्स हिन्दुस्तान टाइम्स के पास हैं। बता दें कि इस वर्ष जुलाई में संसद द्वारा पारित होने के बाद संशोधित मोटर व्हिकल अधिनियम 1 सितंबर को लागू हुआ।

नितिन गडकरी ने कहा, “लोग कानून को पारित करने के पीछे के कारण को क्यों नहीं देख रहे हैं जो कि जान बचाना है। क्या उनके परिवारों के प्रति हमारी जिम्मेदारी नहीं है? भारत में कानून का कोई डर नहीं है, इसीलिए हम ऐसी स्थिति में हैं। उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटना में 55 फीसदी मौतें 18 से 35 साल के आयु वाले की होती है।

बीजेपी शासित गुजरात पहला राज्य था, जिसने केंद्र सरकार अथवा नितिन गडकरी के इस प्रोजेक्ट के साथ जाना उचित नहीं समझा और उसने इस अधिनियम में जुर्माने की राशि में राहत दी। जबकि गुजरात ने सभी राज्यों के ट्रांसपोर्ट मंत्रियों या उनके प्रतिनिधियों के साथ रोड सेफ्टी मुद्दे पर सितंबर 2017 में बैठक की थी।

राजस्थान की तत्कालीन भाजपा सरकार में परिवहन मंत्री रहे यूनुस खान जो कि परिवहन विकास समिति के प्रमुख भी थे ने कहा, “वडोदरा में मैं गडकरीजी के साथ गया था और वे सभी वहां थे और वे सभी समझौते से सहमत थे। यही वह जगह थी जहां हमने तय किया कि हम सस्ते जुर्माना के साथ अब नहीं रह सकते। गुजरात के परिवहन मंत्री भी वहां मौजूद थे।

जब गुजरात के परिवहन मंत्री मंत्री आरसी फाल्दू से संपर्क साधा गया तो उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने कभी मोटर व्हीकल एक्ट में किए गए बदलावों का विरोध नहीं किया। इतना ही नहीं, बीजेपी शासित राज्य कर्नाटक में भी इस अधिनियम में भारी जुर्माने के प्रावधान का विरोध किया है। मगर 2016 में बेंगलुरु में हुई बैठक में कांग्रेस सरकार ने केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव का समर्थन किया था।

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