गुजरात में बीजेपी और कांग्रेस के बीच अदालतें जंग का मैदान बन गई हैं। दोनों ही दलों के नेता एक-दूसरे के खिलाफ जमकर मुकदमे कर रह हैं। मुकदमों की शुरुआत कांग्रेस ने की।
अहमदाबाद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहराज्य गुजरात में सत्तारूढ़ बीजेपी और कांग्रेस के बीच अदालतें जंग का मैदान बन गई हैं। दोनों ही पक्षों से चुनाव, विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने और मानहानि से जुड़े कई मुकदमे दर्ज कराए गए हैं। पिछले एक साल में निचली अदालतों और हाई कोर्ट में मुकदमों की बाढ़ सी आ गई है। मजेदार बात है कि वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव और वर्ष 2014 के संसदीय चुनाव में इस तरह की कोई याचिका दायर नहीं हुई थी।
मुकदमों की बारिश की शुरुआत कांग्रेस ने की। वर्ष 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी के 100 सीटों का जादुई आंकड़ा पार करने में असफल रहने के बाद कांग्रेस ने मुकदमे करने शुरू कर दिए। बीजेपी ने कई सीटों पर बहुत कम वोटों से जीत हासिल की थी, इसको देखते हुए कांग्रेस ने इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी।
राजनीतिक विश्लेषकों और कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि उन्होंने पहले ऐसा कोई चुनाव नहीं देखा है जिसमें इतने बड़े पैमाने पर मुकदमे किए गए हैं। वर्ष 2018 में हाई कोर्ट के अंदर 24 चुनावी मुकदमे दायर किए गए। इसमें से 17 मुकदमे बीजेपी विधायकों और चार कांग्रेस के विधायकों के खिलाफ दायर किए गए।
द्वारका से बीजेपी विधायक पबूभा मानेक को नामांकन पत्र भरने में गलती करने के कारण हाई कोर्ट ने अयोग्य ठहरा दिया। इस याचिका के निपटारे के बाद भी 16 अन्य मामले हाई कोर्ट के सामने लंबित हैं। एक मुकदमा तो गुजरात के कानून मंत्री भूपेंद्र सिंह चूडासामा के खिलाफ लंबित है। चूडासामा बीजेपी सरकार में सबसे वरिष्ठ मंत्री हैं।
यह राजनीतिक-कानूनी लड़ाई उस समय नई ऊंचाई पर पहुंच गई जब कांग्रेस के दिग्गज नेता अहमद पटेल को 4 दिन अदालत के कठघरे के अंदर खड़ा होना पड़ा। पटेल ने कहा कि उनके जीवन में ऐसा पहली बार हुआ है जब उन्हें सुनवाई के लिए कठघरे के अंदर खड़ा होना पड़ा है। अहमद पटेल के वर्ष 2017 में राज्यसभा से निर्वाचन को बलवंत सिंह राजपूत ने चुनौती दी है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को भी हाल ही में अदालत में पेश होना पड़ा था।